देवयोग की निरुद्देश्य ईंटों से इस जगत का निर्माण नहीं हुआ है
एक अंधा देवता भाग्य का सृजनहार नहीं है
एक चित्तशक्ति ने जीवन की योजना का चित्र आंका है
जिसकी प्रत्येक रेखा और घुमाव में एक अर्थ छुपा है.
यह एक अति भव्य और उदात्त वास्तुकला है
जिसे अनेक नामी और बेनामी वास्तुकारों ने निभाया है
-श्रीअरविंद ‘सावित्री’
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