All about my feelings, my concerns. Visual expressions - my drawings, paintings, photography, digital assemblage...
Thursday, July 18, 2013
Friday, July 12, 2013
Saturday, July 6, 2013
Sunday, June 30, 2013
Drawing by Akshay Ameria. Mix-media on paper. / 2010
पंचतत्व
मेरी देह से मिट्टी निकाल लो और बंजरों में छिड़क दो
मेरी देह से जल निकाल लो और रेगिस्तान में नहरें बहाओ
मेरी देह से निकाल लो आसमान और बेघरों की छत बनाओ
मेरी देह से निकाल लो हवा और यहूदी कैम्पों की वायु शुद्धकराओ
मेरी देह से आग निकाल लो, तुम्हारा दिल बहुत ठंडा है
मेरी देह से जल निकाल लो और रेगिस्तान में नहरें बहाओ
मेरी देह से निकाल लो आसमान और बेघरों की छत बनाओ
मेरी देह से निकाल लो हवा और यहूदी कैम्पों की वायु शुद्धकराओ
मेरी देह से आग निकाल लो, तुम्हारा दिल बहुत ठंडा है
- गीत चतुर्वेदी
Monday, March 25, 2013
Pen & Ink drawing on paper. - Akshay Ameria
अँधेरा...
अँधेरा,
इतना घना, इतना गहरा,
और भेदती हो उसको उसकी प्रार्थना,
जैसे कवच पहनाती हो उसे,
और अँधेरा महसूस होता हो जैसे कोई गुफा,
आदिम, खामोश, खुंखार,
और चमकते हों कवच उसके,
जैसे बताते हों शत्रु को पता उसका,
लपकते हों अस्त्र, शिकारी हो अँधेरा,
टटोलते उसे,
भरते हुए कोटरों में प्रार्थनाएं,
पूजनीय तत्त्व,
जगाना असाध्य उर्जा,
अदृश्य शक्ति,
प्रार्थना नहाते भी,
और नहाना भी अँधेरे में,
घुप्प कर अँधेरा,
बुझाकर सारी दिया बाती,
ये तो परंपरा नहीं,
लेकिन परंपरा है,
नहाते हुए भजने का उसका नाम,
परंपरा है, प्रार्थना की,
निष्कवच।
- पंखुरी सिन्हा
Wednesday, March 20, 2013
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