Thursday, July 18, 2013

Friday, July 12, 2013

एक तस्वीर

Drawing by Akshay Ameria. Mix-media on paper. / 2009

तू अचानक मिल गई तो कैसे पहचानूँगा मैं ,
ऐ ख़ुशी, तू अपनी एक तस्वीर मुझ को भेज दे!
- नरेन्द्र शर्मा

Saturday, July 6, 2013

Tree

"Tree" Mix-media by Akshay Ameria / 2013

स्मृतियां हमें भीतर से जीवंत बनाये रखती हैं , लेकिन वे हमें नष्ट भी कर सकती हैं ...
- हारुकी मुराकामी 

Sunday, June 30, 2013

Drawing by Akshay Ameria. Mix-media on paper. / 2010

पंचतत्व

मेरी देह से मिट्टी निकाल लो और बंजरों में छिड़क दो
मेरी देह से जल निकाल लो और रेगिस्तान में नहरें बहाओ
मेरी देह से निकाल लो आसमान और बेघरों की छत बनाओ
मेरी देह से निकाल लो हवा और यहूदी कैम्पों की वायु शुद्धकराओ
मेरी देह से आग निकाल लो, तुम्हारा दिल बहुत ठंडा है  

- गीत चतुर्वेदी

Sunday, June 23, 2013

Drawing by Akshay Ameria. Mix-media on paper. / 2012

I have spent most of my life surrounded by things I love.
In spite of having things around me.

Friday, June 21, 2013

Wednesday, June 19, 2013





Mix-media drawing by Akshay Ameria / 2013


इस दौर में जो हँस रहा है
हादसों की ख़बर उस तक नहीं पहुंची है .
जो खुश है वो या तो डरा हुआ है
या खुद किसी जुर्म में शामिल है.
यह एक ऐसा दौर है
जिसमें मारा जायेगा वो ही जो बेगुनाह है.

फिल्म "मोहनदास" के संवाद की पंक्ति .
निर्देशक : मजहर कामरान / २००९

Tuesday, June 18, 2013

Monday, June 17, 2013

Sunday, June 16, 2013

"Looking Back" by Akshay Ameria, Mix-media on paper / 2012.

Monday, March 25, 2013

















Pen & Ink drawing on paper. - Akshay Ameria

अँधेरा...

अँधेरा,
इतना घना, इतना गहरा,
और भेदती हो उसको उसकी प्रार्थना,

जैसे कवच पहनाती हो उसे,
और अँधेरा महसूस होता हो जैसे कोई गुफा,
आदिम, खामोश, खुंखार,
और चमकते हों कवच उसके,

जैसे बताते हों शत्रु को पता उसका,
लपकते हों अस्त्र, शिकारी हो अँधेरा,

टटोलते उसे,
भरते हुए कोटरों में प्रार्थनाएं,
पूजनीय तत्त्व,
जगाना असाध्य उर्जा,
अदृश्य शक्ति,

प्रार्थना नहाते भी,
और नहाना भी अँधेरे में,
घुप्प कर अँधेरा,

बुझाकर सारी दिया बाती,
ये तो परंपरा नहीं,

लेकिन परंपरा है,
नहाते हुए भजने का उसका नाम,

परंपरा है, प्रार्थना की,
निष्कवच।

- पंखुरी सिन्हा